Thursday 12 October 2017

बॉलीवुड के कारण ही हमारी जुबान पर चढ़े हैं यह आम शब्द

वुमनिया

यह शब्द औरतों का जिक्र करने के लिए उत्तर प्रदेश और बिहार के कुछ इलाकों में प्रयोग में लाया जाता है। यह शब्द क्लासिक शब्द गैंग्स ऑफ वासेपुर फिल्म से लिया गया है, जिसका उपयोग लोग अपनी महिला बॉस के लिए करते हैं।

धाकड़


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यह शब्द किसी को जोशिलापन और उत्साह का उल्लेख करने के लिए उपयोग किया जाता है। यह गाना आमिर खान की सुपरहिट मूवी दंगल का है, जिसको लोगों ने काफी पसंद भी किया।

चुल्ल


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चुल्ल का मतलब है किसी को उकसाना या उत्तेजित करना। यह लफ्ज़ फिल्म ‘कपूर एंड सन्स’ के गाने में उपयोग किया गया है, जो कि अब एक पार्टी नंबर बन चुका है। यह शब्द पहले से ही पंजाब और दिल्ली में काफी इस्तेमाल होता है।

रश्के-कमर


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इन्तेहां

इन्तेहां का मतलब एक हद तक इंतजार करना होता है और इस शब्द को मशहूर करने के लिए बॉलीवुड का गीत “इंतेहां हो गई इंतजार की, आई ना कुछ खबर मेरे यार की.” जिम्मेदार है। ये परफेक्ट शब्द जब आपका साथी आपको लंबा इंतजार करवाएं।

जहनसीब

इस शब्द का अर्थ है मेरा अच्छा भाग्य। “हंसी तो फंसी” फिल्म का यह गाना इस लफ्ज हर किसी की जुबान पर चढ़ गया है।

Friday 6 October 2017

‘हम आपके हैं कौन’ के 23 साल, पढ़िए फिल्म से जुड़े 15 दिलचस्प किस्से
हिन्दी सिनेमा की ये पहली फिल्म थी जिसने 100 करोड़ से ज्यादा की कमाई की थी।ये फिल्म 4350 स्क्रीन पर एक साथ रिलीज हुई थी।
ये फिल्म 1982 में आई फिल्म 'नदिया के पार' की रीमेक थी। जिसमें सचिन व साधना ने मुख्य भूमिकाएं निभायी थीं।
फिल्म में समलान और माधुरी के अलावा मोहनीश बहेल, रेणुका सहाणे, अनुपम खेर और आलोकनाथ ऐसे दिग्गज कलाकारों ने भी अभिनय किया था।
फिल्म का एक विशेष स्क्रीनिंग भी उस समय भारत के राष्ट्रपति के भवन में आयोजित की गई थी। तब शंकर दयाल शर्मा भारत के राष्ट्रपति थे।
आईएमबीडी की एक रिपोर्ट के मुताबिक, मशहूर पेंटर एमएफ हुसैन ने यह फिल्म 85 बार देखी थी। उन्हें इस फिल्म में माधुरी दीक्षित इतना पसंद आईं कि बाद में उन्होंने माधुरी को लेकर एक फिल्म 'गजगामिनी' बनाई। उन्होंने माधुरी की कई पेंटिंग्स भी बनाईं।
इंडियन एक्सप्रेस की एक ख़बर के मुताबिक, माधुरी दीक्षित को इस फिल्म में निशा का किरदार निभाने के लिए 27,535,729 रुपये मिले थे।
फिल्म को बेस्ट फिल्म का फिल्मफेयर अवॉर्ड मिला था और इसके डायरेक्टर सूरज बड़जात्या को बेस्ट डायरेक्टर और माधुरी दीक्षित को बेस्ट एक्ट्रेस का फिल्म फेयर अवॉर्ड मिला।
फिल्म ने सर्वश्रेष्ठ लोकप्रिय फिल्म के लिए राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार भी जीता।
जब सूरज बड़जात्या ने यह फिल्म निर्देशित की उस समय वो सिर्फ 24 साल के थे। किसी को भी उम्मीद नहीं थी कि 24 साल का एक लड़का इतनी अच्छी फिल्म बनाएगा।
फिल्म के गाने दीदी तेरा देवर दीवाना कई सालों तक शादियों में सबसे ज़्यादा बजने वाले गानों में टॉप पर रहा लेकिन बहुत कम लोगों को पता है कि यह गाना नुसरत फतेह अली ख़ान के गाए हुए गाने सारे नाबियां पर बनाया गया था।
कुल मिलाकर इस फिल्म में 14 गाने थे, जो कि किसी भी फिल्म में गाने की औसत संख्या से कहीं अधिक थे।
लंदन के एक सिनेमा हॉल में ये फिल्म एक साल तक लगी रही। इसके बाद 1998 में वहां के एक थिएटर ने '14 सॉन्ग्स, 2 वेडिंग्स एंड ए फ्यूनरल' नाम से इस फिल्म पर आधारित एक नाटक बनाया।
लंदन के बेल्व्यू थिएटर में यह फिल्म 50 हफ्तों तक चली। पहले इस फिल्म को वहां सिर्फ 3 हफ्तों के लिए बुक किया गया था क्योंकि थिएटर का पुनर्निमाण होने वाला था लेकिन फिल्म इतनी हिट रही और अच्छा कलेक्शन किया कि यह वहां 50 हफ्तों तक चलती रही और पुनर्निमाण का काम आगे बढ़ा दिया गया।
फिल्म के एक सीन में अनुपम खेर ने धर्मेंद्र का शोले वाला सीन रिक्रिएट किया था। उस समय ये सीन अनुपम खेर ने इसलिए चुना क्योंकि उनका चेहरा पैरालाइज़्ड था।